Tuesday, December 11, 2018

महिलाओं को 'वेडिंग रिंग' क्यों नहीं पहननी चाहिए

मेरी दो बार शादी हो चुकी है और मैं फिर शादी कर सकती हूं. लेकिन मैंने कभी सगाई की अंगूठी की इच्छा नहीं की.

मेरा मानना है कि सगाई की अंगूठी नारीवाद विरोधी है. ये एक ऐसी प्रक्रिया का प्रतीक है जो महिलाओं की आज़ादी की अवधारणा के पूरी तरह विपरीत है.

उंगली में पहनी अंगूठी बताती है कि वो महिला किसी और व्यक्ति की अमानत है.

ये कुछ और स्थितियों की ओर इंगित करती है. अंगूठी में जड़ा हीरा जितना बड़ा होगा, वो पहननेवाली महिलाओं की महिमा उतनी ही बढ़ाएगा.

यहां, अमरीका में मेरे सभी मित्र मेरे विचार से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते. उनमें अधिकांश की उंगलियों में सगाई की अंगूठी है.

कुछ की उंगलियों में दूसरों की तुलना में बड़ी अंगूठी है. आमतौर पर वो इसे सोशल मीडिया में और जब हमारी मुलाक़ात होती है, तो मुझे दिखाते हैं और मेरा मज़ाक़ उड़ाते हैं.

सिर्फ़ मेरी पीढ़ी के लोग ही मेरे विचारों से असहमत नहीं, मेरी बेटी भी मेरा मज़ाक़ उड़ाती है.

नाटकीयता से भरा प्रस्ताव

उसका सपना सगाई की ऐसी अंगूठी पहनना है, जिसे वो गर्व के साथ दूसरों को दिखा सके. मैं उसे समझने की कोशिश करती हूं, क्योंकि मैं जानती हूं कि ये अवधारणा उस संस्कृति का हिस्सा है, जिसमें उसने जन्म लिया है. लेकिन मैं उस सोच से पूरी तरह असहमत नहीं हूं.

दरअसल मुझे शादी के प्रस्ताव की पूरी प्रक्रिया ही अजीब लगती है. एक व्यक्ति का घुटनों पर टिकने का स्वांग रचना और महिला से उसका हाथ मांगना मुझे बेतुका लगता है. महिला की भूमिका गौण रहती है और उससे बेहद सार्वजनिक तरीक़े से ये पूछा जाता है, जैसे स्टेज पर लाइव या कैमरों के सामने, जो उसे कमज़ोर बनाता है. निश्चित रूप से ये पागलपन है.

किसी से शादी करना रोमांस की हद नहीं होती. ये एक आपसी समझौता होता है. इसके आर्थिक और क़ानूनी नतीजे होते हैं.

अगर मेरा पूर्व-पति मुझे प्रस्ताव रखता, तो मैं हंसती. लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ, क्योंकि ये एक संवाद था. इस फैसले पर दोनों की सहमति थी.

निश्चित रूप से महिलाएं भी आगे बढ़कर शादी का प्रस्ताव रख सकती हैं. लेकिन ऐसा शायद ही होता है.

चिन्ता इस बात की है कि समाज और मीडिया लड़कियों को बचपन से ही पुरुषों के बारे में सपने दिखाने लगते हैं. बियॉन्से के शब्दों में, "उसे अंगूठी पहना दो." वो लड़कियां बड़ी होते हुए यही सपने देखती हैं कि शादी-शुदा ज़िंदगी उनकी सारी समस्याओं का समाधान कर देगी.

मुझे लगता है कि लड़कियों को शादी करने और अंगूठी पहनने के सपने दिखाने के बजाय आज़ाद ख्याल होने, अध्ययन और तरक़्क़ी करने तथा अपने लिए ख़ुशियां तलाशने के लिए प्रेरित करना चाहिए.

जब मैंने अपने गृह प्रदेश कोलम्बिया के एक अख़बार एल टिम्पो के लिए इसी प्रकार की बातें अपने ब्लॉग में लिखीं, तो पाठकों ने मुझे उग्र नारीवादी बताया और मुझपर रोमांस समाप्त करने का आरोप लगाया. लेकिन ये सच नहीं है. मैं बेहद रोमांटिक हूं. जो बात मुझे रोमांटिक नहीं लगती, वो है, एक "वीर राजकुमार" का इंतज़ार, जो मेरी ज़िंदगी में एक अंगूठी लेकर आएगा.